Gukesh Dommaraju Success Story in Hindi: कहते है सफलता के सौ रिस्तेदार होते है और असफलता का कोई नहीं ! यह बात बिलकुल सही की अगर आप अपनी जिंदगी में सफल है तो आपके पास हाल पूछने के लिए सौ लोग आ जायेंगे लेकिन अगर आप असफल हुए तो कोई पूछने तक नहीं आता। सफलता एकदिन में नहीं आती लेकिन अगर आप ठान ले तो आपको सफल होने से कोई रोक नहीं सकता। इस बात का सबूत Gukesh Dommaraju से मिलता है जो अभी 2 दिन पहले शतरंज वर्ल्ड चैंपियन बने है।
Gukesh Dommaraju Success Story in Hindi
दोस्तों आज हर जगह D Gukesh की चर्चा हो रही है क्योकि उन्होंने सबसे कम उम्र में शतरंज का वर्ल्ड चैंपियन बनाने का रिकॉर्ड कायम किया है। जबसे वो चैंपियन बने है हर चैनल वाले उनका इंटरव्यू लेने के लिए पीछे पड़े है और कुछ चैनल पर तो इंटरव्यू आ भी चुके है। 18 साल के इस युवा Chess खिलाडी ने जो काम किया है उसकी तारीफ तो बनती है। आइये आज हम आपको बताते है D Gukesh कैसे बने शतरंज के बादशाह।
सबसे कम उम्र में शतरंज वर्ल्ड चैंपियन बने गुकेश
भारत के सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन गुकेश ने पिछली बार के चैंपियन चीनी शतरंज खिलाडी डिंग लिरेन को हराकर चैंपियन बनाने का गौरव हासिल किया है। जबसे इसकी खबर आयी है देश में न्यूज़ चैनल से लेकर सोशल मीडिया हर जगह इनको बधाइयों देने वालो की लाइन लगी है। आपको बता दे की D Gukesh दुनिया के सबसे कम उम्र में शतरंज चैंपियन खिलाडी बन गए है।
इससे पहले ये रिकॉर्ड रूस के शतरंज खिलाडी Garry Kasparov के नाम था। उन्होंने साल 1984 में 22 साल की उम्र में यह मुकाम हासिल किया था। शतरंज के खेल में इस तरह की अहम् सफलता के बाद देश में इस खेल के प्रति लोगो का झुकाव अब तेजी से होने वाला है।
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चौथी कक्षा के बाद नहीं गए स्कूल
गुकेश आज ऐसे ही चैंपियन नहीं बन गए इसके लिए उन्होंने से ही तयारी करना शुरू कर दिया था। शुरू से ही ये शतरंज के खेल में रूचि रखते थे। आपको बता दे की गुकेश भी उसी स्कूल से ताल्लुक रखते है जहा से विश्वनाथन आनद जैसे लीजेंड पढाई करके निकले है। इन्होने अपने चेस खेलने की शुरुआत अपने स्कूल में पढ़ने वाले प्रज्ञानंद को देखकर किया था। प्रज्ञानंद उस समय अंडर 10 चेस चैंपियन थे।
डी गुकेश की रूचि धीरे धीरे शतरंज में इतनी ज्यादा हो गयी की वो चौथी कक्षा के बाद रेगुलर स्कूल जाना बंद कर दिए। रेगुलर स्कूल छोड़कर गुकेश ने चेस को ही अपनी पहली प्राथमिकता बना ली और आज वो सबसे युवा वर्ल्ड शतरंज चैंपियन बनाने का गौरव हासिल कर चुके है।
बेटे के लिए पिता ने करियर पर लगा दिया दांव
गुकेश के सफलता (Gukesh Dommaraju Success Story in Hindi) में उनकी परिवार का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है। आपको बता दे की इनको कम्पटीशन के लिए जगह जगह लेकर जाना पड़ता था ऐसे में इनके पिता ने इनके खेल के लिए अपने करियर को भी दांव पर लगा दिया। इनके पिता एक ENT सर्जन है लेकिन वो अपने काम में ठीक से समय नहीं दे पाते थे। इस वजह से इनके करियर पर बहुत प्रभाव पड़ा लेकिन इनके पिता ने अपना सबकुछ बेटे के लिए लगा दिया ।
गुकेश की उपलब्धिया
इन्होने इस खेल में पहली बार अपना झंडा नहीं फहराया है बल्कि इसके पहले भी गुकेश कई अहम् मुकाम हासिल कर चुके है। इनको पहली सफलता (Gukesh Dommaraju Success Story in Hindi) तब मिली जब इन्होने मात्र 8 साल की उम्र में अंडर 9 एशियन स्कूल चैंपिनयशिप में जीत हासिल किया। इसके बाद साल 2018 में अंडर 12 केटेगरी में वर्ल्ड युथ चैंपियनशिप का ख़िताब हासिल किया था इसके साथ ही इन्होने 5 गोल्ड मैडल भी अपने नाम किया था।
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इसके बाद 2019 में 12 साल और 7 महीने की उम्र में सबसे कम उम्र में ग्रांडमास्टर बनाने का गौरव हासिल किया। वो यही नहीं रुके साल 2022 में मैग्नस कार्लसन को हारने वाले सबसे युवा खिलाडी भी बने। साल 2019 में ही वो एमचेस रेपिड टूर्नामेंट में चैंपियन भी बने।
World चैंपियन बनने पर बोले गुकेश
भारत के नए शतरंज चैंपियन गुकेश ने ख़िताब जीतने के बाद एक इंटरव्यू में मैच के बारे में बात करते हुए बताया की मैच में ड्रा के लिए खेल रहा था लेकिन लिरेन के एक ब्लंडर ने मेरा काम आसान कर दिया। मिले हुए मौके का मैंने भरपूर फायदा उठाया और वो मोमेंट मेरे जीवन का सबसे बड़ा पल था।
निष्कर्ष : Gukesh Dommaraju Success Story in Hindi
तो दोस्तों यहाँ पर हमने आपको बताया हमारे देश के सबसे युवा शतरंज वर्ल्ड चैंपियन खिलाडी गुकेश की सक्सेस स्टोरी (Gukesh Dommaraju Success Story in Hindi) के बारे में। उम्मीद है आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपको ये आर्टिकल पसंद है तो कमेंट करके जरूर बताये।
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